अम्बे गौरी आरती : Ambe Gauri Aarti : माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।


अम्बे गौरी आरती


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी

 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत, टीको जगमग तो

उज्जवल से दो‌ नैना, चन्द्रवदन नीको

ॐ जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै

रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै

ॐ जय अम्बे गौरी

 

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी

ॐ जय अम्बे गौरी

 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती

कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति

ॐ जय अम्बे गौरी

 

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती

ॐ जय अम्बे गौरी

 

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे

ॐ जय अम्बे गौरी

 

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी

आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी

ॐ जय अम्बे गौरी

 

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव

बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु

ॐ जय अम्बे गौरी

 

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता

भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता

ॐ जय अम्बे गौरी

 

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी

मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी

ॐ जय अम्बे गौरी

 

कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति

ॐ जय अम्बे गौरी

 

श्री अम्बेजी की आरती, जो को‌ई नर गावै

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै

ॐ जय अम्बे

 

गौरी जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी

 

 इसे भी पढ़े :  

भगवान गणेश जी की पूरी आरती

 

 

 

 

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here