सरस्वती माता आरती : Saraswati Mata Aarti : सरस्वती हिंदू धर्म की प्रमुख वैदिक और पौराणिक देवियों में से एक हैं। सनातन धर्म शास्त्रों में दो सरस्वती, एक ब्रह्मा पत्नी सरस्वती और एक ब्रह्मा पुत्री और विष्णु पत्नी सरस्वती का वर्णन मिलता है। ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती सतोगुण महाशक्तियों में से एक हैं और मूल प्रकृति से पैदा हुई मुख्य त्रिमूर्ति और विष्णु की पत्नी सरस्वती को ब्रह्मा की जीभ की उपस्थिति के कारण ब्रह्मा की पुत्री माना जाता है। कई शास्त्रों में, उन्हें मुरारी वल्लभ (विष्णु की पत्नी) के रूप में भी संबोधित किया जाता है। है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दोनों देवी-देवताओं को एक ही नाम, प्रकृति, शक्ति और ज्ञान के अधिष्ठाता देवता माने गए हैं, इसलिए उनके ध्यान और पूजा में अधिक अंतर नहीं है।


सरस्वती माता आरती


ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता

सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी

त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता

 

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता

सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी

त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता

 

चन्द्रबदनि पद्मासिनि, कृति मंगलकारी

मैय्या कृति मंगलकारी

सोहे शुभ हंस सवारी, सोहे शुभ हंस सवारी

अतुल तेज धारी

जय जय सरस्वती माता

 

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला

मैय्या दाएं कर माला

शीश मुकुट मणि सोहे, शीश मुकुट मणि सोहे

गल मोतियन माला जय जय सरस्वती माता

 

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया

मैय्या उनका उद्धार किया

बैठी मंथरा दासी, बैठी मंथरा दासी

रावण संहार किया

जय जय सरस्वती माता

 

विद्यादान प्रदायनि, ज्ञान प्रकाश भरो

जन ज्ञान प्रकाश भरो

मोह अज्ञान की निरखा, मोह अज्ञान की निरखा

जग से नाश करो

जय जय सरस्वती माता

 

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावै

मैय्या जो कोई जन गावै

हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी

ज्ञान भक्ति पावै

जय जय सरस्वती माता

 

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता

सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी

त्रिभुवन विख्याता

जय जय सरस्वती माता

 

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता

सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी

त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता

 

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