Diwali 2024 Date: Is Diwali on October 31 or November 1 : दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भारत में इसे बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह केवल एक धार्मिक उत्सव ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व भी है, जो सभी समुदायों को एकता के सूत्र में पिरोता है। इस लेख में हम दिवाली के इतिहास, धार्मिक महत्व, परंपराओं, रीति-रिवाजों, और इसके सांस्कृतिक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। चलिए विस्तार से बात करते है Osmgyan.in के इस लेख में …
दिवाली का इतिहास और पौराणिक मान्यताएं
- दिवाली का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मिलता है।
- सबसे प्रमुख कथा भगवान श्रीराम से जुड़ी है।
- मान्यता है कि जब भगवान राम ने रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तब उनके स्वागत के लिए नगरवासियों ने दीप जलाए।
- इस दिन को अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा के रूप में मनाया गया।
- इसके अतिरिक्त, दिवाली भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह का भी प्रतीक मानी जाती है।
- जैन धर्म में भी इस दिन का विशेष महत्व है.
- क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था।
- सिख धर्म में यह पर्व बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है.
- जब गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगलों की कैद से रिहा किया गया था।
दिवाली का धार्मिक महत्व
- दिवाली केवल हिन्दू धर्म का पर्व नहीं है, बल्कि इसका संबंध भारत के कई धर्मों और संस्कृतियों से है।
- धनतेरस: दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा है।
- नरक चतुर्दशी: इसे ‘छोटी दिवाली’ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।
- मुख्य दिवाली: इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है। रात्रि को दीप जलाने का विशेष महत्व है।
- गोवर्धन पूजा: इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।
- भाई दूज: यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
दिवाली की परंपराएं और रीति-रिवाज
- सफाई और सजावट: दिवाली से पहले लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। घरों में रंगोली बनाने की परंपरा भी है।
- दीप और मोमबत्तियां: दिवाली की रात को घरों में दीप जलाए जाते हैं। ये दीप अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाने का प्रतीक हैं।
- पूजा-पाठ: लक्ष्मी-गणेश की पूजा करना दिवाली की मुख्य परंपरा है। इस पूजा के द्वारा लोग अपने घरों में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
- पटाखे फोड़ना: बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी पटाखे फोड़ते हैं, हालांकि पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अब इस परंपरा को सीमित कर रहे हैं।
- मिठाई और उपहार: दिवाली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को मिठाई और उपहार देकर शुभकामनाएं देते हैं। यह परंपरा रिश्तों को प्रगाढ़ बनाती है।
दिवाली का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
- Diwali 2024 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है.
- बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है।
- इस पर्व के माध्यम से लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और सहयोग का आदान-प्रदान करते हैं।
- त्योहार के समय सभी धर्मों और जातियों के लोग मिलकर इसे मनाते हैं, जो सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है।
पर्यावरण पर दिवाली का प्रभाव
- हालांकि दिवाली हर्षोल्लास का पर्व है.
- लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं.
- विशेषकर पर्यावरण पर। पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है.
- जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- इसलिए अब लोग ‘ग्रीन दिवाली’ का समर्थन कर रहे हैं.
- जिसमें पर्यावरण के अनुकूल उपाय अपनाए जाते हैं.
- जैसे दीपक और मोमबत्तियों का प्रयोग, कम ध्वनि वाले पटाखों का उपयोग, और पौधे उपहार में देना।
दिवाली और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- दिवाली का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- इस समय बाजारों में भारी खरीदारी होती है.
- जिससे व्यापारियों और दुकानदारों को लाभ होता है।
- गहनों, कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक वस्त्रों और मिठाइयों की बिक्री में उछाल आता है।
निष्कर्ष
- Diwali 2024 न केवल एक धार्मिक पर्व है.
- बल्कि यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।
- यह पर्व हमें अच्छाई की राह पर चलने और बुराई को दूर करने की प्रेरणा देता है।
- समाज में प्रेम, सहयोग और भाईचारे को बढ़ावा देने का यह उत्सव हमें हर वर्ष यह संदेश देता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीपक उसे दूर कर सकता है।
- इसलिए हमें दिवाली को सही मायनों में मनाना चाहिए—प्रकृति और समाज के प्रति संवेदनशील रहते हुए।