Kali Mata Aarti : काली माता आरती : काली या महाकाली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। यह सुन्दरी रूप वाली भगवती पार्वती का काला और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति दैत्यों , दानवों और राक्षसों के संहार के लिये हुई थी। उनको विशेषतः बंगाल, ओडिशा और असम में पूजा जाता है। काली को शाक्त परम्परा की दस महाविद्याओं में से एक भी माना जाता है। वैष्णो देवी में दाई पिंडी माता महाकाली की ही है | ( Kali Mata Aarti )
काली की व्युत्पत्ति काल अथवा समय से हुई है जो सबको अपना ग्रास बना लेता है। माँ का यह रूप है जो नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए हैं जो दानवीय प्रकृति के हैं जिनमे कोई दयाभाव नहीं है। यह रूप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है अत: माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेच्छु है और पूजनीय है। इनको महाकाली भी कहते हैं।
काली माता आरती
जय काली माता
माँ जय महा काली माँ
रतबीजा वध कारिणी माता
सुरनर मुनि ध्याता
माँ जय महा काली माँ
दक्ष यज्ञ विदवंस करनी माँ शुभ निशूंभ हरलि
मधु और कैितभा नासिनी माता
महेशासुर मारदिनी
ओ माता जय महा काली माँ
हे हीमा गिरिकी नंदिनी प्रकृति रचा इत्ठि
काल विनासिनी काली माता
सुरंजना सूख दात्री हे माता
अननधम वस्तराँ दायनी माता आदि शक्ति अंबे
कनकाना कना निवासिनी माता
भगवती जगदंबे
ओ माता जय महा काली माँ
दक्षिणा काली आध्या काली
कालीनामा रूपा
तीनो लोक विचारिती माता धर्मा मोक्ष रूपा
जय महा काली माँ
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