करवा चौथ क्या है और हम इसे क्यों मनाते हैं : करवा चौथ एक हिंदू त्योहार है जिसमें हिंदू महिलाएं एक दिन का उपवास रखती हैं। अपने पतियों के लिए लंबी जिंदगी की दुआ करती हैं। करवा चौथ हिंदू कैलेंडर के कार्तिक मास के चार दिनों के बाद आता है।

हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत महत्व है। हिंदू महिलाएं अपने पति के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं। यह एक कठिन उपवास है क्योंकि देवियों को भोजन और पानी के बिना एक पूरा दिन बिताना पड़ता है। करवा चौथ भारत के उत्तरी क्षेत्र में मनाया जाता है।


Why do we Celebrate Karva Chauth : हम क्यों मनाते हैं करवा चौथ


  • एक बार की बात है, वीरवती नाम की एक सुंदर रानी थी।
  • वह परिवार की सबसे लाड़ली थी,
  • क्योंकि वह सात भाइयों में अकेली बहन थी।
  • करवा चौथ के अवसर पर, वह अपने माता-पिता के घर पर थी।
  • वह सूर्योदय के बाद उपवास करने लगी।
  • हालांकि, उसका शरीर इतना तनाव नहीं ले सकता था।
  • लेकिन वह इस बात पर अड़ी थी कि वह चांद के दर्शन से पहले अपना व्रत नहीं तोड़ेंगी।
  • भाई अपनी बहन को उस स्थिति में नहीं देख सकते थे।
  • उन्होंने पीपल के पेड़ में एक दर्पण बनाया और यह चंद्रमा की तरह लग रहा था।
  • जिस क्षण वीरवती ने अपना व्रत तोड़ा, उसके पति के निधन का समाचार पहुंचा।
  • उस खबर से उसे बहुत बुरा लगा।
  • वह बहुत रोई , यह एक ऐसा क्षण है जब एक देवी उसके सामने प्रकट हुई और उसे सूचित किया कि उसे उसके भाइयों द्वारा धोखा दिया गया है।
  • उसने फिर से, पूरे दिल से उपवास किया।
  • अपने पति के प्रति उनके समर्पण और प्रेम को देखकर, यम भी उसके पति के जीवन को वापस करने के लिए विवश हो गए ।

Draupadi’s story : द्रौपदी की कहानी 


  • ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था।
  • द्रौपदी के सबसे प्यारे पति अर्जुन निस्वार्थ भाव से नीलगिरि गए।
  • उनकी अनुपस्थिति में, अन्य पांडवों को समस्याओं का सामना करना पड़ा।
  • द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को इस स्थिति में याद किया क्योंकि यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण था और साथ ही पांडवों के लिए भी।
  • भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को एक ऐसी ही कहानी सुनाई।
  • कहानी देवी पार्वती के बारे में थी,
  • जहां उन्हें एक समान मुद्दे का सामना करना पड़ा था और इस मुद्दे को हल किया गया था
  • जब उन्होंने करवा चौथ की पूर्ण अनुष्ठान किया था।
  • ऐसा माना जाता है कि व्रत ने अर्जुन को उनके प्राणों की रक्षा करने में मदद की।
  • द्रौपदी के साथ-साथ पांडवों के लिए भी समस्या हल हो गई।
  • अर्जुन एक अच्छे राज्य में वापस आ गया।
  • इस त्योहार की लोकप्रियता उत्तरी और उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों में देखी जा सकती है।
  • इस क्षेत्र के पुरुष ज्यादातर रक्षा सेवा में शामिल थे।
  • उनकी पत्नियों ने अपने सुरक्षित वापसी के लिए उपवास शुरू कर दिया।
  • यही से करवा चौथ की बहार आई.

Important Rituals of Karva Chauth : करवा चौथ के महत्वपूर्ण अनुष्ठान


 

 Sargi : 
  1. सरगी सास द्वारा अपनी बहू के लिए तैयार किया गया भोजन है।
  2. करवा चौथ के भोर से पहले सरगी का सेवन किया जाता है।
  3. एक सास और बेटी और बहू के बीच के रिश्ते को सरगी से मजबूती मिलती है।
  4. सरगी में फेनी,  सूखे मेवे, ताजे फल, मिठाइयाँ होती हैं।
  5. कभी-कभी थालियों के साथ सिंदूर, साड़ी और गहने जैसी वस्तुएँ भी भेजी जाती हैं।

 

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 Baya : 
  1. विवाहित बेटियों की माँए करवा चौथ पर बया भेजती हैं।
  2. बया में मिठाई, पैसा, कपड़े और करवा शामिल है.
  3. जो एक छोटा मिट्टी का घड़ा है।
  4. शाम को, बया को सास या घर की एक बुजुर्ग महिला द्वारा स्वीकार किया जाता है।

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 The Pooja : 
  • जब चाँद आसमान में उगता है।
  • यह व्रत तोड़ने का समय है।
  • महिलाएं दिन को हल्का करती हैं और करवा में पानी डालती हैं।
  • जिसे पूजा थली पर मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है।
  • एक छलनी की मदद से महिलाएं चंद्रमा की पहली झलक लेती हैं।
  • पानी फिर मूर को चढ़ाया जाता है।
  • उसी दृश्य के साथ, वह अपने पति की एक झलक लेती है।
  • एक प्रार्थना का पाठ किया जाता है जो उनके पति की दीर्घायु की कामना करता है।
  • सस्वर पाठ के बाद, पति पानी का पहला घूंट देता है।
  • इस तरह करवा चौथ का व्रत टूट जाता है।

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Facts About Karva Chauth  : करवा चौथ के बारे में तथ्य 


  1. करवा चौथ हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिवाली से नौ दिन पहले पड़ता है.
  2. आस्था के अनुसार देवी पार्वती द्वारा भगवान शिव के लिए पहला करवा चौथ व्रत रखा गया था.
  3. करवा चौथ पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है.
  4. करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिला को काले या सफेद रंग की पोशाक पहनना मना है.
  5. यह त्योहार उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालाँकि इसकी लोकप्रियता के कारण, त्योहार को अब पूरे देश द्वारा स्वीकार किया जा रहा है.
  6. यह त्योहार कार्तिक की चौथ पर पड़ता है, जिसका अर्थ है हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने का चौथा दिन.
  7. व्रत मनाया जाता है। चांद देखने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है.
  8. करवा चौथ पर दो सबसे लोकप्रिय उपहार सरगी और बया हैं.
  9. करवा चौथ के खाद्य पदार्थों में फेनी, दूध और सूजी से बनी मिठाई,पूए शामिल हैं.
  10. महिलाएं पारंपरिक पोशाक में मंगल टीका, मंगल सूत्र, पैर की अंगुली की अंगूठी आदि पहनती हैं.
Worship method : पूजा विधि 

बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। उसके पश्चात यथाशक्ति देवों का पूजन करें।

पूजन हेतु निम्न मंत्र बोलें :

ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।

करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें।

सायंकाल चंद्रमा के उदित हो जाने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें। इसके पश्चात ब्राह्मण, सुहागिन स्त्रियों व पति के माता-पिता को भोजन कराएँ। भोजन के पश्चात ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा दें।

पति की माता (अर्थात अपनी सासूजी) को उपरोक्त रूप से अर्पित एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें। इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें।


first story of karva chauth 


  • बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी।
  • सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे।
  • यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे।
  • एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
  • शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी।
  • सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे,
  • लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है।
  • चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी थी ।
  • सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं गयी और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है।
  • दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो।
  • इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है,
  • तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो।
  • बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है,
  • उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
  • वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है।
  • दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
  • उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ।
  • करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
  • सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी।
  • वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है।
  • उसकी देखभाल करती है।
  • उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
  • एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है।
  • उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
  • जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह कर चली जाती है।
  • इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है।
  • यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है.
  • इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना।
  • ऐसा कह के वह चली जाती है।
  • सबसे अंत में छोटी भाभी आती है।
  • करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है,
  • लेकिन वह टालमटोली करने लगती है।
  • इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है।
  • भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
  • अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है।
  • करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है।
  • इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।
  • हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।

Second story of karva chauth 


  • इस कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था।
  • नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था,
  • परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी।
  • उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया।
  • परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया।
  • अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।

Third story of karva chauth 


  • एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गाँव में रहती थी।
  • एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया।
  • वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
  • उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई और आकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया।
  • मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ।
  • यमराज बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली,
  • अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी।
  • सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी।
  • हे करवा माता! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।

Fourth story of karva chauth 


  • एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी नामक पर्वत पर गए। इधर द्रोपदी बहुत परेशान थीं।
  • उनकी कोई खबर न मिलने पर उन्होंने कृष्ण भगवान का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की।
  • कृष्ण भगवान ने कहा- बहना, इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने शंकरजी से किया था।
  • पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर फिर भोजन ग्रहण किया जाता है।
  • सोने, चाँदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है, जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है।
  • पूजन करने के बाद महिलाएँ अपने सास-ससुर एवं बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेती हैं।
  • तब शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत बतलाया। इस व्रत को करने से स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा हर आने वाले संकट से वैसे ही कर सकती हैं जैसे एक ब्राह्मण ने की थी।
  • प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण था। उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी।
  • एक बार लड़की मायके में थी, तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही।
  • कुछ खाया-पीया नहीं, पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।
  • भाइयों से न रहा गया, उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया।
  • एक भाई पीपल की पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी उत्पन्न कर दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण करो।
  • बहन ने भोजन ग्रहण किया।
  • भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई।
  • अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी, तभी वहाँ से रानी इंद्राणी निकल रही थीं।
  • उनसे उसका दुःख न देखा गया। ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुःख का कारण पूछा, तब इंद्राणी ने बताया- तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला।
  • अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा।
  • उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई।
  • इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए।
  • द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए।
  • तभी से हिन्दू महिलाएँ अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ व्रत करती हैं।
 Note :  आधुनिक काल में करवा चौथ को पति दिवस (Husband’s Day) का भी नाम दिया गया है तथा उस रूप में भी उसे मनाया जाता है.

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