Bhai Dooj : क्यों मनाया जाता है : भाई दूज की पूरी जानकारी , भाई दूज की कहानी हिंदी में : ये तो हम सभी को मानना ही होगा की भाई और बहन के बीच एक अनोखी समझ होती है. वे एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त हैं, एक-दूसरे के रक्षक हैं, एक-दूसरे के प्रशंसक हैं, एक-दूसरे के गुप्त हिस्सेदार भी होते हैं. वहीँ वो एक-दूसरे से बिना कोई शर्त के ही प्यार करते हैं.

सच में भाई-बहन के बीच के भावनाओं और प्यार को समझ पाना काफी मुश्किल है.

भाई दूज, भौबीज, भाई टीका, भाई फोन्टा हिंदुओं द्वारा विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर या कार्तिका के शालिवाहन शाका कैलेंडर माह में शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाने वाला त्योहार है।

यह दिवाली या तिहाड़ त्योहार के दौरान मनाया जाता है।

इस दिन के उत्सव रक्षा बंधन के त्योहार के समान हैं।

इस दिन बहनें अपने भाइयों को उपहार देती हैं। देश के दक्षिणी भाग में इस दिन को यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है।

कायस्थ समुदाय में, दो भाई दूज मनाए जाते हैं।

सबसे ज्यादा मशहूर दीवाली के बाद दूसरे दिन आता है। लेकिन कम प्रसिद्ध दीवाली के एक या दो दिन बाद मनाया जाता है।

हरियाणा में, एक अनुष्ठान का भी पालन किया जाता है.

पूजा के लिए इसकी चौड़ाई के साथ बंधे हुए सूखे नारियल का उपयोग भाई की आरती के समय भी किया जाता है।

त्योहार के दिन, बहनें अपने भाइयों को उनके पसंदीदा व्यंजन / मिठाइयों सहित अक्सर शानदार भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं।

बिहार और मध्य भारत में प्रक्रिया भिन्न हो सकती है। पूरा समारोह अपनी बहन की रक्षा के लिए एक भाई के कर्तव्य के साथ-साथ अपने भाई के लिए एक बहन के आशीर्वाद का प्रतीक है।

पारंपरिक शैली में समारोह को आगे बढ़ाते हुए, बहनें अपने भाई के लिए आरती करती हैं और भाई के माथे पर लाल टीका लगाती हैं।

भाई बिज के अवसर पर यह टीका समारोह अपने भाई के लंबे और सुखी जीवन के लिए बहन की ईमानदारी से प्रार्थना का प्रतीक है और उन्हें उपहारों के साथ व्यवहार करता है।

बदले में, बड़े भाई अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और उनके साथ उपहार या नकद भी दे सकते हैं।

जैसा कि हरियाणा, महाराष्ट्र में भाऊ-बीज के शुभ अवसर को मनाने के लिए प्रथागत है.

जिन महिलाओं का भाई नहीं है, वे इसके बजाय चंद्र की पूजा करती हैं।

वे अपनी परंपरा के रूप में लड़कियों पर मेहंदी लगाते हैं।

जिस बहन का भाई उससे बहुत दूर रहता है और अपने घर नहीं जा सकता, वह चंद्र देव के माध्यम से अपने भाई के लंबे और सुखी जीवन के लिए ईमानदारी से प्रार्थना करती है।

वह चंद्रमा के लिए आरती करती है। यही कारण है कि हिंदू माता-पिता के बच्चे प्यार से चंद्रमा को चंदामामा कहते हैं (चंदा का अर्थ चंद्रमा और मामा का अर्थ है मां का भाई)।


भाई दूज क्या है – What is Bhai Dooj in Hindi


 

Bhai Dooj : क्यों मनाया जाता है : भाई दूज की पूरी जानकारी

भाई दूज हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला रक्षाबंधन की तरह एक खास पर्व है. बाकी भारतीय त्यौहारों की तरह भाई दूज भी एक प्रमुख त्यौहार है जो कि मुख्य रूप से हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाता है. यह पर्व हर वर्ष दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है. भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. यह पर्व भाई बहनों का है.

इस दिन बहन के द्वारा अपने घर में भाई का तिलक सम्मान कर भोजन कराने की परंपरा है. इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु और सर्व मनोकामना पूर्ति की कामना करती है. यह पर्व भाई के प्रति बहन के स्नेह को व्यक्त करता है. माना जाता है इस दिन भाई यदि अपनी बहन के यहां भोजन करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है.


History behind Bhai Dooj festival :भाई दूज त्यौहार के पीछे का इतिहास 


मृत्यु के देवता यमराज ने इसी दिन अपनी बहन  यमी (यमुना) से मुलाकात की थी। आरती और टीका समारोह से उनकी बहन ने उनका स्वागत किया।

उसने उसे माला पहनाई और उसे खाने के लिए मिठाई सहित विशेष व्यंजनों के साथ एक शानदार भोजन की पेशकश की।

भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?यमराज ने घोषणा की कि इस दिन, जो भी भाई अपनी बहन द्वारा तिलक और आरती करेगा, वह समृद्ध और स्वस्थ जीवन जीएगा।


How bhai Dooz is Celebrated across India and the Regional traditions : भारत और क्षेत्रीय परंपराओं के बीच भाई दूज कैसे मनाया जाता है 


भारतीयों को अपने किंवदंतियों और परंपराओं से प्यार है और ‘भाई दूज’ ऐसा ही एक त्योहार है। इस त्यौहार के लिए इस क्षेत्र के अनुसार कई नाम हैं.

जिन्हें हिंदी में भाई दूज के नाम से जाना जाता है – भाषी क्षेत्र और मराठी भाषी क्षेत्र में “भाई बीज़” और नेपाल में लोग इस त्यौहार को भाई – तिलक ” के नाम से जानते हैं.


How Bhai Dooj is celebrated regionally : क्षेत्रीय तौर पर भाई दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता है 


 In Bihar : 
  • बिहार में, कहानी बहुत अलग है लेकिन एक समान उद्देश्य पर काम करती है।
  • यहां, बहनें अपने भाइयों पर श्राप की बौछार करके समारोह की शुरुआत करती हैं।
  • ऐसा होने के बाद, वे सजा के रूप में अपनी जीभ को कांटेदार फल के साथ चुबाती हैं.
  • और अपने भाइयों से माफी मांगती हैं। इसे एक कहानी से लिया गया है. जिसे इस त्योहार का आधार माना जाता है।
 In Maharashtra: 
  • भाऊ- बियज के नाम से जानी जाने वाली बहनें, भाई के माथे पर हमेशा की तरह रोली का टीका लगाती हैं.
  • और बुरी नजर को हटाने वाली एक मनोकामना आरती और अर्घ्य करती हैं।
  • उपहार का आदान-प्रदान किया जाता है। आमतौर पर, भाई अपने माथे पर एक सफेद गांधी टोपी के साथ बैठता है।
 Read More :  

 

दिवाली क्यों मनाई जाती है ?

Raksha Bandhan – रक्षा बंधन

करवा चौथ क्या है और हम इसे क्यों मनाते हैं 


Who all celebrate Bhai Dooj?भाई दूज कौन मनाते हैं?


हिन्दू धर्म – Hindu religion


How do you wish Bhai Dooj? आप कैसे चाहते हैं भाई दूज?


  • मैं हमेशा आपके लंबे जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करता हूं।
  • खुश रहो और एक धन्य जीवन भर रहो, हैप्पी भाई दूज!
  • भगवान आपको जीवन भर समृद्धि, स्वास्थ्य, धन, खुशियां प्रदान करें।
  • आइए हम एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करें और कामना करें कि हम हर समय सुरक्षित रहें.

What is done on Bhai Dooj? भाई दूज पर क्या किया जाता है?


  • इस दिन बहनें यमराज से भाइयों की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं।
  • इस रस्म में बहनें अपने भाइयों के माथे पर सात रंग का लंबा टीका लगाती हैं।
  • शेष अनुष्ठान वैसा ही है जैसा अन्यत्र हिंदुओं द्वारा किया जाता है।

Do sisters keep fast on Bhai Dooj? क्या बहनें भाई दूज का व्रत रखती हैं?


  • बहनों के दुयारा यह पारंपरिक समारोहों के पूरा होने तक सुबह उपवास रखना ज़रूरी होता है।
  • भगवान से उनकी लंबी उम्र की कामना के लिए भाई के माथे पर घी, चंदन (चंदन) और कोहल (काजल) का तिलक लगाया जाता है।
  • पारंपरिक मिठाइयों में, खीर और नारियल के लड्डू इस अवसर के कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं।

What is the meaning of Bhai Phota? भाई फोटा का क्या अर्थ है?


  • बंगाल में भाई-बहनों के त्योहार को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है।
  • यह पूरे पश्चिम बंगाल में काली पूजा के बाद दूसरे दिन भव्यता के साथ मनाया जाता है।
  • समय के साथ विकसित हुए भाई-बहनों के बीच के बंधन को मनाने के लिए शुभ दिन को चिह्नित किया जाता है।

भाई दूज की कहानी


  • यमुना तथा यमराज भाई बहन थे.
  • इनका जन्म भगवान सोइरी नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ था.
  • यमुना यमराज से बहुत ज्यादा स्नेह करती थी.
  • यमुना यमराज को बार बार अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती है लेकिन यमराज अपने कार्य मे व्यस्त होने के कारण हर बार यमुना की बातों को टाल देते थे.
  • कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर में भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लेती है.
  • यमराज भी सोचते हैं कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ मुझे तो कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती है जो इतनी सद्भावना से मुझे अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित कर रही है.
  • तिथि के दिन यमराज बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते है और नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं.
  • यमराज के घर पहुंचते ही यमराज को अपने द्वार में देख यमुना की खुशी का ठिकाना नही रहता और वह सबसे पहले स्नान करके यमराज को तिलक करके भोजन कराती है.
  • बहन के अपने प्रति स्नेह, आदर और सम्मान को देखकर यमराज खुश हो जाते हैं और यमुना को वर मांगने का आदेश देते हैं.
  • यमुना ने कहा भद्र! इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका करके भोजन कराये उसे तुम्हारा भय न रहे.
  • यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और आभूषण देकर चले जाते हैं.

भाई दूज कब मनाया जाता है ?


  • भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष दीपावली के दो दिन बाद तीसरे दिन मनाया जाता है.
  • कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ही यमुना ने यमराज को तिलक भोजन कराया था और वर मांगा था जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था इसीलिए भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है.
  • इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं.
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन भाई और बहन दोनों के लिए काफी शुभ दिन माना जाता है.

भाई दूज का दूसरा नाम क्या है ?


  • भाई दूज का दूसरा नाम है भैय्या दूज.

भाई दूज कैसे मनाया जाता है ?


  • मान्यता है कि भाई दूज के दिन शादीशुदा बहनों के द्वारा भाई को अपने घर बुलाकर नहाकर आदर सत्कार और स्नेह के साथ भाई का तिलक कर पूजन करना चाहिए और भाई की दीर्घायु की कामना करना चाहिए.
  • इस दिन भाई को बहन के यहां ही नहाना चाहिए. हो सके तो यमुना में स्नान करें.
  • भाई दूज का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है.
  • हालांकि हर क्षेत्र में इस त्यौहार को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है.
  • उत्तर भारत में बहनें अपने भाई को अक्षत एवं तिलक लगाकर नारियल भेंट करती हैं और पूर्वी भारत में बहने शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाकर भेंट के तौर पर कुछ उपहार देती हैं.

भाई दूज के दिन किस देवता की पूजा की जाती है ?


भाई दूज के दिन मृत्‍यु के देवता यम जी की पूजा की जाती है.


Why do we celebrate Bhai Dooj? हम भाई दूज क्यों मनाते हैं?


  • हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्य देव की पत्नी का नाम छाया है.
  • भगवान सूर्य व माता छाया के पुत्र प्राणों को हरने वाले यमराज और पुत्री यमुना माता हैं.
  • यमुना माता अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती हैं.
  • यमुना माता अपने भाई यमराज से बार-बार आग्रह करतीं कि वो अपने प्रिय मित्रों के साथ उनके घर आकर भोजन करें.
  • लेकिन यमराज अपने कार्य में व्यस्त होने के कारण यमुना माता की बात टालते रहते है.
  • फिर एक बार कार्तिक मास आया और यमुना माता ने एक बार फिर से अपने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया.
  • इस बार यमुना माता ने यमराज से अपने घर आने का वचन ले लिया.
  • इसके बाद यमराज ने सोचा कि मैं तो सभी के प्राणों को हरने वाला हूं इसीलिए कोई भी मुझे अपने घर नहीं बुलाता है.
  • फिर भी अगर मेरी बहन प्रेमवश मुझे बुला रही है तो मुझे जाना ही होगा और अपने वचन का पालन करना ही होगा.
  • कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के घर जाने के लिए चल दिए और यमलोक से निकलते समय वहां यातना झेल रहे जीवों को मुक्त कर दिया.
  • भाई यमराज को अपने घर में देखकर यमुना माता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
  • फिर उन्होंने स्नान ध्यान करके यमराज को टीका किया.
  • फिर स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और खूब प्रेम से उनको खिलाया .
  • इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना माता से वरदान मांगने के लिए कहा.
  • यमुना माता ने कहा कि भाई आप हर साल इसी दिन मेरे घर आना.
  • मेरी ही तरह जो भी बहन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपने भाई का आदर सत्कार करके टीका करे,उसे तुम्हारा भय नहीं रहे.
  • इसके बाद यमराज तथास्तु कहकर और यमुना माता को धन-धान्य देकर यमलोक चले गए.
  • फिर इसी दिन से भाई दूज त्योहार मनाया जाने लगा.
  • ऐसी मान्यता है कि जो भाई अपनी बहन का निमंत्रण स्वीकार करके भाई दूज के दिन अपनी बहन से टीका करवाता है, उसे यमराज का भय नहीं रहता है.

भाई दूज व्रत कथा


  • चूंकि सभी हिन्दू त्यौहारों को लेकर कुछ न कुछ मान्यता या कथाएं रहती हैं.
  • इसी प्रकार भाई दूज को लेकर एक कथा श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ी है.
  • मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करने के पश्चात अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे.
  • सुभद्रा ने अपने भाई से मिलकर उनका तिलक कर आरती पूजन किया और पुष्पहारों से उनका आदर सत्कार के साथ स्वागत किया तब से ही हर वर्ष इसी तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है.

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा


  • एक पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने यमराज को अपने यहां भोजन कराया था जिससे खुश होकर यमराज नें नरक के जीवों को मुक्त कर दिया था.
  • नरक से मुक्ति पाकर सभी जीवों को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिली और वे तृप्त हो गए.
  • सभी जीव पापमुक्त होकर सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए और सभी जीवों ने मिलकर उत्सव मनाया और ये उत्सव यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था.
  • यह तिथि यम द्वितीया के नाम से प्रचिलित हुई और इसी तिथि को हर वर्ष भाई दूज पर्व मनाया जाता है.
  • माना जाता है इस तिथि को जो भाई अपनी बहन के यहां भोजन करता है उसे सुख संपत्ति और धन कि प्राप्ति होती है साथ ही सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

हिन्दू धर्म में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक स्वरूप कौन से त्यौहार मनाये जाते हैं ?


  • हिन्दू धर्म में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक स्वरूप दो त्यौहार मनाये जाते हैं एक है रक्षाबंधन और दूसरा भाई दूज है.
  • जहां एक तरफ रक्षाबंधन में भाई बहन की जीवन भर रक्षा करने की शपथ लेता है और बहन के अच्छे जीवन की कामना करता है वही दूसरी तरफ भाई दूज में बहन भी की लंबी आयु की प्रार्थना करती है.

भाई दूज पूजा विधि


 

Bhai Dooj : क्यों मनाया जाता है : भाई दूज की पूरी जानकारी

  • हालांकि भाई दूज मनाने की सभी जगह अलग अलग परंपरा और रीति-रिवाज है लेकिन कथाओं और पुराणों के अनुसार जो विधि विधान है वो यहां पर बताएं जा रहे हैं.
  • इस दिन शादी-शुदा बहनों को अपने भाई को अपने घर आमंत्रित करना चाहिए. इसके बाद दोनों स्नान करें.
  • भाई को भी इस दिन बहन के घर ही स्नान करना चाहिए. इसके बाद दोनों को नए वस्त्र धारण करना चाहिए.
  • नए वस्त्र धारण करने के बाद भाई को आसन में बिठाकर तिलक करना चाहिए इसके बाद भाई की आरती उतारकर हाथ में कलावा (लाल धागा) बांधकर मंत्रोपचार करते हुए नारियल भेंट करना चाहिए.
  • और भाई के द्वारा बहन को भेंट स्वरूप कुछ उपहार देना चाहिए.
  • और घर के बाहर यम के नाम से चहुंमुखी दिया जलाना चाहिये.
  • इस दिन यमुना नदी में नहाना पवित्र माना जाता है.

भाईदूज मंत्र क्या है ?


‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को. सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें.’


What is the difference between Rakhi and Bhai Dooj? राखी और भाई दूज में क्या अंतर है?


What is Bhai Dooj?

भाई दूज’ को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे भाई फोन्टा, भाऊबीज, भाई टीका, और भी बहुत कुछ। दक्षिण भारत में, ‘भाई दूज’ को यम द्वितीया कहा जाता है। भाई दूज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज दिवाली उत्सव के अंत का प्रतीक है।

What is Raksha Bandhan?

रक्षा बंधन हिंदू कैलेंडर के श्रावण महीने में मनाया जाता है। रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और बाद में बहन की रक्षा का वादा करती हैं। इस त्योहार के दौरान उपहार और पैसे का आदान-प्रदान आम प्रथा है।

पहला अंतर यह है कि रक्षा बंधन अगस्त में मनाया जाता है, जबकि भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है।
भाई दूज में आरती और टीका प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जबकि रक्षा बंधन पर बहनें भाइयों की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधती हैं।
रक्षा बंधन पर भाई अपनी बहन की हर कीमत पर रक्षा करने का संकल्प लेता है, जबकि भाई दूज में बहन अपने भाई की रक्षा करने का संकल्प लेती है।
रक्षा बंधन बहनों, भाइयों और दोस्तों के बीच भी किया जा सकता है लेकिन भाई दूज का त्योहार केवल भाई-बहन के लिए है।
पवित्र पुस्तकों में, यह उल्लेख किया गया है कि भगवान विष्णु और भगवान इंद्र की पत्नी, सची रक्षा बंधन से जुड़ी हुई हैं। भाई दूज के दिन, यह व्यापक रूप से माना जाता है कि यमराज अपनी जुड़वां बहन यमुना से मिलने गए थे। बदले में, यमुना ने उनकी आरती की और उनके माथे पर टीका लगाया।

How is Bhai Dooj celebrated in Bihar? बिहार में भाई दूज कैसे मनाया जाता है?


बिहार में: बिहार में भाई दूज का उत्सव देश के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी अलग है।

यहां की रस्म यह है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए सजा के रूप में अपनी जीभ चुभने और माफी मांगने से पहले उनके लिए शाप और गालियां देती हैं।


Is Bhai Dooj celebrated in Uttarakhand? क्या उत्तराखंड में मनाया जाता है भाई दूज?


  • बगवाली पोखर मेला यम द्वितीया (भाई दूज) पर मनाया जाने वाला कुमाऊं, उत्तराखंड का धार्मिक मेला है।
  • यह भाई दूज की तिथियों के आधार पर अक्टूबर/नवंबर में मनाया जाता है।

Is Bhai Dooj a national holiday? क्या भाई दूज राष्ट्रीय अवकाश है?


  • भाई दूज हिंदू चंद्र कैलेंडर पर नए साल के दिन के बाद पांच भारतीय राज्यों में एक सार्वजनिक अवकाश है।
  • ग्रेगोरियन कैलेंडर पर, छुट्टी अक्टूबर या नवंबर में आती है।
  • भाई दूज को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
  • और उत्तर भारत में, इसे दिवाली त्योहार में एकीकृत किया जाता है।

Which festival is associated with the story of Yama the god of death and Yamuna? मृत्यु के देवता यम और यमुना की कहानी से कौन सा त्योहार जुड़ा है?


Bhai Dooj festival – भाई दूज पर्व


How can I thank my sister for Bhai Dooj? भाई दूज के लिए मैं अपनी बहन को कैसे धन्यवाद दे सकता हूं?


  • भाई दूज के इस शुभ अवसर पर, आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया है.
  • उसके लिए मैं अपनी प्यारी बहन को धन्यवाद देना चाहता हूं।
  • हमेशा मेरा ख्याल रखने और मेरा समर्थन करने के लिए धन्यवाद। आप सबसे अच्छी बहन हैं।
  • में ईश्वर से आपकी दीर्घायु एवं सफलता की कामना करता हूँ।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

 

1.शास्त्रों के अनुसार भाईदूज का महत्व

  • शास्त्रों के अनुसार भैयादूज अथवा यम द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है।
  • इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं।
  • ब्रजमंडल में इस दिन बहनें भाई के साथ यमुना स्नान करती हैं.
  • जिसका विशेष महत्व बताया गया है। भाई के कल्याण और वृद्धि की इच्छा से बहने इस दिन कुछ अन्य मांगलिक विधान भी करती हैं।
  • यमुना तट पर भाई-बहन का समवेत भोजन कल्याणकारी माना जाता है।
  • पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं।
  • उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परम्परा अपनी बहनों से मिलती है और उनका यथेष्ट सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं।
  • बहनों को इस दिन नित्य कृत्य से निवृत्त हो अपने भाई के दीर्घ जीवन, कल्याण एवं उत्कर्ष हेतु तथा स्वयं के सौभाग्य के लिए अक्षत (चावल) कुंकुमादि से अष्टदल कमल बनाकर इस व्रत का संकल्प कर मृत्यु के देवता यमराज की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
  • इसके पश्चात यमभगिनी यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा करनी चाहिए।
  • तदंतर भाई के तिलक लगाकर भोजन कराना चाहिए। इस विधि के संपन्न होने तक दोनों को व्रती रहना चाहिए।

2. भैया दूज का व्रत कैसे रखते हैं?

  • सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें।
  • इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं।
  • फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं।

3. भाई दूज के दिन किस देवता की पूजा होती है?

  • पौराणिक मान्यता है कि भैया दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे साथ बैठकर खाना खाते हैं तो यह मंगलकारी होता है।
  • भाई दूज दीवाली के दो दिन आता है और इसको यम द्वितीया भी कहा जाता है।
  • इस दिन यम देव की पूजा होती है।

4. भाईदूज के दिन आसमान में उड़ती हुई चील देखना होता है शुभ

  • भाई दूज त्योहार को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।
  • एक मान्यता है कि इस दिन आसमान में उड़ती हुई चील दिखे तो उसे देख बहनें अपने भाईयों के लिए जो भी प्राथना और दुआ मांगती हैं वो पूरी होती है।

5. भाई दूज के दिन ही चित्रगुप्त की पूजा होती है?

  • भाईदूज के दिन ही भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा होती है।
  • भगवान श्री चित्रगुप्त के पहले भाषा की कोई लिपि नहीं थी।
  • उनका प्रवचन दिया जाता था श्री चित्रगुप्त ने माँ सरस्वती से विचार विमर्श के बाद लिपि का निर्माण किया और अपने पूज्य पिता के नाम पर उसका नाम ब्राह्मी लिपि रखा।

6. भाईदूज पर चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए

  • भाई दूज के दिन सुबह स्नान कर यम देवता, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए।
  • इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
  • – यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।

7. भाई अगर बहन के हाथों का भोजन ग्रहण करे तो शुभ होता है?

  • मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया की तिथि के दिन सूर्य की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमदेव को घर पर सत्कारपूर्वक बुलाया और भोजन कराया था।
  • इससे वह पाप मुक्त होकर सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए। तभी से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से प्रख्यात हो गई।
  • यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे धन की प्राप्ति होती है।

8. उत्तर प्रदेश में भाई दूज मनाने की परंपरा 

  • मथुरा में बहन का हाथ पकड़ यमुना में डुबकी की परंपरा है।
  • मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन को यमलोक के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • वहीं, पूर्वांचल के कई इलाकों में महिलाएं रूई में बेसन लगाकर मालाएं बनाती हैं।
  • मान्यता है कि माला जितनी लंबी होगी, भाई की उम्र उतनी लंबी होगी।