नक़ल करना बुरा है – पंचतंत्र कहानियां : एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौवा अपना घोसला बनाकर रहता था वह बड़ा चालाक और धूर्त था उसकी कोशिश सदा यही रहती थी कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए पेड़ के आसपास खोय में खरगोश रहते थे जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊँची उड़ान भरते और किसी ना किसी खरगोश को उठाकर ले जाते थे

नक़ल करना बुरा है - पंचतंत्र कहानियां
नक़ल करना बुरा है – पंचतंत्र कहानियां

एक दिन कौवा ने सोचा वैसे तो यह चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं अगर इनका गरम और नरम मॉस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा एकाएक झपट्टा मारकर पकड़ लूंगा

नक़ल करना बुरा है - पंचतंत्र कहानियां
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दूसरे दिन कौवे ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोच कर उड़ान भरी फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा अब भला कौवा क्या बाज का मुकाबला करता खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छुप गया कौवा अपनी ही जोक में उस चट्टान से जा टकराया नतीजा उसके चोंच और गर्दन टूट गई और उसने वही तड़प कर दम तोड़ दिया

शिक्षा – नकल करने के लिए भी अकल चाहिए

 

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