Maa Ganga Aarti : माँ गंगा आरती : गंगा की उत्पत्ति के विषय में हिंदुओं में अनेक मान्यताएँ हैं। एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी के कमंडल का जल गंगा नामक युवती के रूप में प्रकट हुआ था। एक अन्य ( वैष्णव ) कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया। एक तीसरी मान्यता के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री हैं, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं। प्रत्येक मान्यता में यह अवश्य आता है कि उनका पालन-पोषण स्वर्ग में ब्रह्मा जी के संरक्षण में हुआ। ( Maa Ganga Aarti ) 


माँ गंगा आरती


हर हर गंगे जय माँ गंगे 

हर हर गंगे जय माँ गंगे

ॐ जय गंगे माता

श्री जय गंगे माता

जो नर तुझको ध्याता

जो नर तुझको ध्याता

मन वांशित फल पाता

ॐ जय गंगे माता

जय गंगे माता

श्री जय गंगे माता

जो नर तुझको ध्याता

जो नर तुझको ध्याता

मन वांशित फल पाता

ॐ जय गंगे माता..

आ आ आ..

चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी

जल निर्मल आता

मैया जल निर्मल आता

शरण पड़े जो तेरी

शरण पड़े जो तेरी

सो नर तर जाता

ॐ जय गंगे मात

आ आ आ..

पुत्र सगर के तारे

सब जग को ज्ञाता

मैया सब जग को ज्ञाता

कृपा दृष्टि हो तुम्हारी

कृपा दृष्टि हो तुम्हारी

त्रिभुवन सुखदाता

ॐ जय गंगे माता

आ आ आ..

एक ही बार जो तेरी

शरणागति आता

मैया शरणागति आता

यम की त्रास मिटाकर

यम की त्रास मिटाकर

परम गति पाता

ॐ जय गंगे माता

आ आ आ..

आरती मात तुम्हारी

जो जन नित्त गाता

मैया जो जन नित्त गाता

दास वाही सहज में

दास वाही सहज में

मुक्ति को पाता

ॐ जय गंगे माता

आ आ आ..

ॐ जय गंगे माता

श्री जय गंगे माता

जो नर तुझको ध्याता

जो नर तुझको ध्याता

मन वांशित फल पाता

ॐ जय गंगे माता..

जय गंगे माता

श्री जय गंगे माता

जो नर तुझको ध्याता

जो नर तुझको ध्याता

मन वांशित फल पाता

ॐ जय गंगे माता

ॐ जय गंगे माता

ॐ जय गंगे माता

ॐ जय गंगे माता..

 

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