( cancer ) कैंसर का खतरा बच्चों में भी बढ़ रहा है

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( cancer ) कैंसर का खतरा बच्चों में भी बढ़ रहा है
( cancer ) कैंसर का खतरा बच्चों में भी बढ़ रहा है

कैंसर ( cancer )आम तौर पर उम्रदराज लोगों को होने वाली गंभीर बीमारी है पर हैरानी की बात है कि आजकल बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।बच्चों में कैंसर की शुरुआत में ही पहचान कर इसे समाप्त किया जा सकता है। बच्चों में कैंसर बहुत आम नहीं है।14 साल से कम उम्र के बच्चों में कैंसर के लगभग 40 से 50 हजार नए मामले हर साल सामने आते हैं।

( cancer ) कैंसर का खतरा बच्चों में भी बढ़ रहा है

 

70 प्रतिशत मामलों में हो सकता है इलाज :

Treatment can be done in 70 percent of cases:

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा कर्मियों द्वारा बच्चों में कैंसर के लक्षण की पहचान न होने की वजह से इस बीमारी का समय पर पता नहीं लग पाता है।

बच्चों में कैंसर ( cancer ) के करीब 70 प्रतिशत मामलों में इलाज हो सकता है। यह सुधार बच्चों में कैंसर के इलाज की नई दवाओं की खोज से नहीं आया है.

बल्कि यह सुधार तीन चिकित्सा पद्धतियों-कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडियोथेरेपी के बेहतर तालमेल से हुआ है।

डॉक्टरों के अनुसार उपलब्ध थेरेपी को इलाज के नए इनोवेशन के साथ मिलाते हुए लगातार किए गए क्लीनिकल ट्रायल से यह सफलता हासिल की जा सकी है।

इन क्लीनिकल ट्रायल को बच्चों के इलाज की दिशा में कार्यरत विभिन्न टीमों ने किया है।

यह बात लगातार दिखी है कि इस विशेषज्ञता से जीवन रक्षा के अवसर और गुणवत्ता में सुधार होता है।

विशेषज्ञों के अनुसार समय पर इलाज मिलने से बेहतर नतीजों की उम्मीद बढ़ जाती है।

बीमारी को पहचानने और इलाज शुरू होने के बीच के समय को कम से कम करना चाहिए।

सभी विकासशील देशों की तरह यहां भी देरी से स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने, बीमारी को पकड़ने में देरी और इलाज के लायक केंद्रों तक रेफर करने की सुस्त प्रक्रिया से बेहतर इलाज की दर में कमी आती है।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इलाज का सर्वश्रेष्ठ मौका, पहला मौका ही होता है।

पर्याप्त देखभाल के बाद भी अनावश्यक देरी, गलत परीक्षण, अधूरी सर्जरी या अपर्याप्त कीमोथेरेपी से इलाज पर नकारात्मक असर पड़ता है।

एक औसत सामान्य चिकित्सक या बाल चिकित्सक शायद ही किसी बच्चे में कैंसर की पहचान कर पाते हैं।

बच्चों में कैंसर के लक्षणों को देखकर समझा जा सकता है कि इसकी पहचान देरी से क्यों होती है या फिर इसकी पहचान क्यों नहीं हो पाती है।

हेमेटोलॉजिकल (खून से संबंधित) कैंसर और ब्रेन ट्यूमर के अलावा बच्चों में होने वाले अन्य कैंसर जल्दी वयस्कों में नहीं दिखते हैं।

बच्चों में साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर सबसे ज्यादा होते हैं।

वयस्कों में होने वाले कैंसर के बहुत से लक्षण हैं जो बच्चों में बहुत मुश्किल से दिखते हैं।बच्चों को होने वाले कैंसर में एपिथेलियल टिश्यू की भूमिका नहीं होती है।

इसलिए इनमें बाहर रक्तस्राव नहीं होता या फिर एपिथेलियल कोशिकाएं बाहर पपड़ी की तरह नहीं निकलती हैं।

बच्चों में कैंसर के लक्षण:

Symptoms of cancer in children:

  • पीलापन और रक्तस्राव (जैसे चकत्ते, बेवजह चोट के निशान या मुंह या नाक से खून)
    हड्डियों में दर्द।
  • किसी खास हिस्से में दर्द और दर्द के कारण बच्चा अक्सर रात को जाग जाता है।
  • बच्चा जो अचानक लंगड़ाने लगे या वजन उठाने में परेशानी हो या अचानक चलना छोड़ दे।
  • बच्चे में पीठ दर्द का हमेशा ध्यान रखें।
  • टीबी से संबंधित ऐसी गठानें जो इलाज के छह हफ्ते बाद भी बेअसर रहें।
  • अचानक उभरने वाले न्यूरो संबंधी लक्षण।
  • दो हफ्ते से ज्यादा समय से सिर दर्द।
  • सुबह-सुबह उल्टी होना।
  • चलने में लड़खड़ाहट।
  • अचानक चर्बी चढ़ना। विशेषरूप से पेट, सिर, गर्दन और हाथ-पैर पर।

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