रूस बनाम दिल्ली :जब पुतिन भारत आए थे: AQI और वायु-गुणवत्ता की तस्वीर – जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन 4–5 दिसंबर 2025 को भारत (दिल्ली) आए, उस समय मीडिया और पर्यावरण विश्लेषकों ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि दिल्ली की वायु-गुणवत्ता (AQI) कितनी खराब थी। वहीं, वो शहर जहाँ से वे आए — रूस की राजधानी मस्को — वहाँ की हवा काफी साफ थी। चलिए विस्तार से बात करते है Osmgyan.in के इस लेख में .
📊 दिल्ली का हाल — ‘बहुत खराब’ AQI
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उस दिन दिल्ली का AQI लगभग 299 था (सुबह 8 बजे) — जो ‘hazardous’ / ‘very poor / poor to very poor’ श्रेणी के करीब माना गया। Moneycontrol+1
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उस समय दिल्ली-NCR क्षेत्र लगातार स्मॉग और प्रदूषण की जद में था, PM2.5 और PM10 जैसे पार्टिकुलेट्स का स्तर काफी ऊँचा था। Moneycontrol+2India Today+2
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असल में, 2024–25 की सर्दियों में दिल्ली भारत के उन शहरों में से था जिनकी हवा सबसे खराब रही — औसत PM2.5 स्तर 159 µg/m³ दर्ज किया गया था, जो स्वस्थ या सुरक्षित स्तर से कई गुना अधिक था। Business Standard+1
इसका मतलब — जब पुतिन आए, दिल्लीवासियों के लिए सांस लेना और बाहर निकलना मुश्किल था; हवा में जहरीले कण थे, खासकर संवेदनशील लोग (बच्चे, बूढ़े, फेफड़ा रोग वाले) जोखिम में थे।
🇷🇺 मस्को (रूस) की हवा — साफ और ताज़ा
वहीं, मस्को की हवा उस समय काफी बेहतर थी:
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रियल-टाइम AQI इंडेक्स अनुसार, मस्को का AQI लगभग 32–35 था — यानी “Good” श्रेणी में। Moneycontrol+1
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PM2.5, PM10 और अन्य प्रदूषकों की मात्रा बहुत कम थी, हवा अपेक्षाकृत स्वच्छ थी। AQI+1
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रूस में, आमतौर पर वायु-गुणवत्ता बनी रहती है बेहतर — 2024 में रूस की औसत AQI “Good” श्रेणी में रही। AQI+1
🔎 तुलना: दिल्ली vs मस्को — क्या फर्क था?
| शहर / मापदंड | वायु-गुणवत्ता (AQI) / स्थिति |
|---|---|
| दिल्ली (भारत) | करीब 299 — बहुत खराब / हानिकारक स्तर Moneycontrol+1 |
| मस्को (रूस) | करीब 32–35 — “Good” / स्वच्छ हवा Moneycontrol+1 |
इस तुलना से स्पष्ट है कि — जहाँ पुतिन उड़ान भर कर आए थे, वहाँ की हवा लगभग साफ थी; वहीं, भारत की राजधानी दिल्ली में हवा जहरीली थी। यह फर्क सिर्फ जलवायु, मौसम या प्रदूषण नियंत्रण की दुर्गति ही नहीं — यह जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ा असल अंतर था।
🌫️ क्यों दिल्ली की हवा इतनी ख़राब रही?
कुछ मुख्य वजहें:
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सर्दी शुरू — ठंडी हवा के कारण वायु प्रवाह कम, प्रदूषक ज़मीन के पास फँस जाते हैं। Moneycontrol+1
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ट्रैफिक, इंडस्ट्री, निर्माण, वाहन धुआँ — ये रोज़मर्रा के प्रदूषण स्रोत। India Today+1
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फसलों की पराली जलाना (हालाँकि यह दिसंबर शुरू में शायद कम था) व अन्य स्थानीय प्रदूषण — बढ़ी हुई पार्टिकुलेट्स की वजह। India Today+1
🏥 क्या असर हुआ हो सकता है लोगों पर?
भारी AQI और प्रदूषित हवा के कारण:
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सांस लेने में दिक्कत, खांसी, गले में जलन
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बुज़ुर्गों, बच्चों, एलर्जी या अस्थमा वाले लोगों को विशेष सावधानी
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बाहर निकलने और शारीरिक गतिविधियों में कमी — विशेषकर सुबह-शाम
✅ निष्कर्ष — हवा ही एक बड़ा अंतर है
जब एक ही व्यक्ति (पुतिन) एक देश (रूस) से एक अन्य देश (भारत) पहुंचा — वहाँ से हवा, वातावरण, वायु-गुणवत्ता का फर्क इस कदर था कि मस्को में “स्वच्छ हवा” और दिल्ली में “खतरनाक हवा” — यह सिर्फ भूगोल या मौसम का मामला नहीं, बल्कि प्रदूषण, मौसम, प्रशासन और सामाजिक संरचनाओं का परिणाम था।
अगर हम चाहते हैं कि ऐसे दौर में आने वाले सिर्फ़ VIP — बल्कि हर आम आदमी के लिए भी — हवा बेहतर हो, तो प्रदूषण नियंत्रण, हरित पहल, और सामाजिक जागरुकता ज़रूरी है।




